प्यार में हार
न हुई जो बर्दाश्त
फाँसी लटका
पागल मन
भटका भर दिन
साथी न मिला
गुलाब एक
भँवरे हैं अनेक
प्यार जताते
कली गुलाब
सुन्दर बेहिसाब
भाग्य से मिले
चाँद पूनम
परछाहीं नदी में
ले हिचकोले
रक़ीब मेरा
जलता है मुझसे
हो के निराश
धनुष तीर
शिकारी का संधान
मरा हिरन
जीवन चक्र
है धूमता रहता
उम्र हो खत्म
धरा आकाश
बीच में हम सब
जीवन जीते
डाकू लुटेरे
सब जगह छुपे
माल बचाओ
देखो इधर
तुम्हारा ध्यान कहाँ
मैं हूँ न यहाँ
(समाप्त)
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नमस्कार मित्रों
रियो ओलंपिक समाप्त हो जायेगा आज ..इस बार बहुत ताम झाम ..वादों ..दावों ...और इरादों से सबसे बड़ा दल रियो ओलंपिक में भेजा गया था
...पर कहते हैं "ढाक के तीन पात" वही निराशा और मायूसी ही हाँथ लगी..और जो एक कांस्य और एक रजत अब तक मिला उसमे व्यक्तिगत सफलता का भाग ज्यादा है..पॉलिटिक्स इतनी ..कि जीतने वाले खिलाडी.... सुशील कुमार बाहर...
औरजो नरसिंह यादव चुने गए वे भी साजिश का शिकार हो बाहर...
ऐसे में रियो ओलंपिक में एक और निराशाजनक प्रदर्शन के साथ भारतीय दल खाली हाथ वापस...
इसी निराशा और दुःख को व्यक्त करते हैं..आज के हायकू..
रियो ओलंपिक
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1)हाथ निराशा
माहौल मायूसी का
भारतीयों में
2) जीती साजिश
हारीं सब आशाएँ
झोली है ख़ाली
3) खेल मंत्री है
खेल मंत्रालय भी
बड़ा बजट
4) सवा सौ कोटि
भारतीय जनता
होते है कम
5) एक मैडल
को तरसता देश
है शर्मनाक
6) हम जीतने
नहीं प्रयास से ही
रहते खुश
7) गाल बजाते
मौज मनाने जाते
हमारे दल
(समाप्त)
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आज 28 अगस्त के हायकू..."मेरी बेटियाँ "...पर
मेरी बेटियाँ
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1) तीनों बेटियाँ
उच्च शिक्षित सब
हैं मेरी शान
2) इंजीनियर
डॉक्टर आर्किटेक्ट
हैं मेरी जान
3) पाला प्यार से
अच्छी परवरिश
ऊँचा है नाम
4) गर्वित सीना
किया बेटियों ने ही
हैं प्यारी मुझे
5) कौन कहता
बेटी किसी से कम
बोलता झूँठ
6) शान बढ़ाई
खेल जीता किसने
रजत कांस
7) तिरंगा ऊँचा
देश मेरा गर्वित
न्यारी बेटियाँ
8) कुछ न माँगे
चाहें प्यार सम्मान
प्यारी बेटियाँ
9) दुर्गा का पाठ
बेटियों को दुत्कार
कैसी ये पूजा
10) नारी की शक्ति
कमतर न आँको
ये काली दुर्गा
(समाप्त)
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