Friday 27 March 2020

फूल कली और काँटे

मैंने फ़ोन लगाया फूल को

काँटे ने उठाया बोला..

"कौन साहब बोल रहे हैं "

मैंने फोन काटा थोड़ी देर बाद

फिर फोन लगाया कली ने उठाया

" आप कौन..क्या काम है..?? "

मैंने फोन काटा थोड़ी देर बाद

फिर लगाया और देखो भाग्य मुस्कुराया

इस बार फोन फूल ने उठाया
बोला... " अरे आपको इतने दिनों बाद 
हमारी याद तो आयी तुम हो हरजाई..
जाइये हम आपसे नहीं बोलते ..
अपने दिल के पर्दे आपके लिये नहीं खोलते "

मैं बोला " भागवान ऐसी बातें 
फोन पर थोड़े ही करते हैं "

" फिर कैसे करते हैं " फूल बोला

मैं बोला " आमने सामने बैठ ..
हाथों में हाथों को पकड़ ..आँखों मे अँखियाँ डाल कर ही तो ऐसी बातें करते हैं "

" तो फिर घर में आओ न ..और मुझे ठीक से समझाओ न " फूल बोला

मैं बोला " ठीक है फिर आता हूँ ..तुम्हें ठीक से समझाता हूँ " पर समय और दिन तो तुम ही बताओगी और देखो फोन भी तुम ही लगाओगी "

अचानक फोन बीच ही में कट गया

वो साला काँटा बीच मे ही आ गया

अच्छे खाँसे मूड का गुड़ गोबर कर गया

काश भगवान ये काँटे तो न बनाता

तो हमारे जैसे जीवों का गुज़ारा

इस धरती पर सुख चैन से हो जाता

(स्वरचित)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव