नमस्कार मित्रों
हाइकु मञ्जूषा 09 के लिये आज के हाइकु..
25-09-2016
पेड़ों..जड़ों ..तने.. टहनियों सहित ..पेंड पौधों के विभिन्न अंगों पर
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1) फूल पत्तियाँ
पेड़ों को हैं सजाती
सुन्दर पेंड
2) हरी झाड़ियाँ
धरती का श्रृंगार
फूलों से भरी
3) कीट पतंग
अठखेली करते
मधु पराग
4) पेंड औ पौधे
जीवनोपयोगी हैं
जीवन धन
5) कृतघ्न हम
जंगल उजाड़ते
जो आत्महत्या
6) नष्ट जंगल
वीरान हो धरती
जीवन कहाँ
7) न सोंचा अभी
पर्यावरण हेतु
कठिन जीना
8) धरा श्रृंगार
सब रंग आधार
प्यारी प्रकृति
9)भोजन छाया
जलाने को ईंधन
देते ये पेंड़
10)पेंड़ हैं मित्र
सँवारते जीवन
जीव जंतु का
(समाप्त)
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नमस्कार मित्रों
हाइकु मञ्जूषा 09 के लिये आज के हाइकु..
24 सितंबर 2016
पेड़ों ..जड़ों ..तने
.. टहनियों सहित पेंड पौधों के विभिन्न अंगों पर
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1) झूमते पेंड
सनसनाती हवा
आया सावन
2) तेज बारिश
उफनती नदियाँ
प्रसन्न पेंड
3) हरयाली है
कली फूल खिलते
दिल मिलते
4) तना पोषित
टहनियाँ पोषित
जड़ करती
5) होते न पेंड
कहाँ भोजन छाया
मित्र हमारे
6) सहअस्तित्व
पेंड पौधे औ हम
अत्यावश्यक
7) सब भोजन
जड़ फल औ फूल
आभार पेंड
8) नयी कोपलें
जीवन का प्रतीक
होतीं सुन्दर
9) कली खिलती
भँवरे मंडराते
मस्त पवन
10) फूल का भाग्य
वेणी हो या ज़नाज़ा
कौन जानता
(समाप्त)
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नमस्कार मित्रों
हाइकु मञ्जूषा 09 के लिये आज के हाइकु..
23 -09-16
पेड़ों ..जड़ों.. ..तने ..टहनियों सहित पेंड पौधों के विभिन्न अंगों पर..
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1) नयी कोपलें
आशाओं की प्रतीक
जीवित पेंड
2) फूल खिलते
बिखेरते ये रँग
सजी बगिया
3) जड़ से जुड़े
पोषण है ये पाते
जीवन मूल
4) हरी पत्तियाँ
जीवित हरितमा
सिखाती जीना
5) न कोई मित्र
दे सकता इतना
जितना पेंड
6) छाया पेंड की
देती सुख पथिक
है चमत्कारी
7) हरितमा है
पर्याय जीवन का
इसे बढ़ाओ
8) भोजन छाया
जलाने को लकड़ी
मिले पेंड से
9) जंगल होते
गारंटी बारिश की
वर्ना विनाश
10) वेणी फूलों की
भेंट जो दें साजन
है अनमोल
(समाप्त)
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नमस्कार मित्रों
हाइकु मञ्जूषा अंक 09 के लिये ..चंद हाइकु..
1) जड़ से जुड़ा
पेंड रहता खड़ा
होता पोषित
2) तना जोड़ता
जड़ को पत्तियों से
फल और फूल
3) नयी कोपलें
फूटें टहनियों पे
बढ़ता पेंड
4) खिलें कलियाँ
फल फूल हों खूब
माली चाहता
5)फूल खिलते
भँवरे तितलियाँ
प्रेमी उनके
6) फल खाकर
बिखरावो ये बीज
नये हों पेंड
7) पेंड हैं मित्र
समस्त जीवों के
पालते हमेँ
8) मित्र हमारे
समस्त पेंड पौधे
दें प्राणवायु
9) भोजन छाया
जलाने को ईंधन
दें सब पेंड
10) नहीं संभव
जीवन बिन पेंड
मित्र है पक्के
(समाप्त)
अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव