Tuesday 7 April 2020

टेसू के फूल

टेसू के फूल
*********
# ये फ़ूल ढाक (पलाश) के पेड़ों पर खूब  खिलते हैं #
1)

फूले हैं टेसू जँगल में   कि अब बहार आई है

हमारे मन भी हैब खिले कि हमारी बगिया मुस्कुराई है

फिर भी कुछ तो हैं ऐसे कि

जिनके मन अब तक नहीं खिले

क्या है बात कि उनकी सूरत अब भी मुरझाई है

2)

फ़ूल टेसू के जब जब  खिलते हैं जँगल जगमगाते हैं

उनका स्वाभाविक रूप औ सौंदर्य भी खूब निखर जाते हैं

ऐसे में किसी का मन यदि खिले तो ये स्वाभाविक ही है

फिर भी कुछ चेहरे मुरझाये से ही क्यूँ रह ही जाते हैं

3)

टेसू अपने मौसम में खूब खिलते हैं

हर एक पेंड पर सैकड़ों में मिलते हैं

उन्हें निहार कर हम ख़ुश भी बहुत होते हैं

पर मुश्किल ये एक ख़ास मौसम में होते है

विशेष नोट:-

ऐसे तमाम टेसू के फूलों को ...
मेरा बहुत बहुत प्यार
बहुत बहुत प्यार
बहुत प्यार
प्यार

(स्वरचित)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

Friday 27 March 2020

फूल कली और काँटे

मैंने फ़ोन लगाया फूल को

काँटे ने उठाया बोला..

"कौन साहब बोल रहे हैं "

मैंने फोन काटा थोड़ी देर बाद

फिर फोन लगाया कली ने उठाया

" आप कौन..क्या काम है..?? "

मैंने फोन काटा थोड़ी देर बाद

फिर लगाया और देखो भाग्य मुस्कुराया

इस बार फोन फूल ने उठाया
बोला... " अरे आपको इतने दिनों बाद 
हमारी याद तो आयी तुम हो हरजाई..
जाइये हम आपसे नहीं बोलते ..
अपने दिल के पर्दे आपके लिये नहीं खोलते "

मैं बोला " भागवान ऐसी बातें 
फोन पर थोड़े ही करते हैं "

" फिर कैसे करते हैं " फूल बोला

मैं बोला " आमने सामने बैठ ..
हाथों में हाथों को पकड़ ..आँखों मे अँखियाँ डाल कर ही तो ऐसी बातें करते हैं "

" तो फिर घर में आओ न ..और मुझे ठीक से समझाओ न " फूल बोला

मैं बोला " ठीक है फिर आता हूँ ..तुम्हें ठीक से समझाता हूँ " पर समय और दिन तो तुम ही बताओगी और देखो फोन भी तुम ही लगाओगी "

अचानक फोन बीच ही में कट गया

वो साला काँटा बीच मे ही आ गया

अच्छे खाँसे मूड का गुड़ गोबर कर गया

काश भगवान ये काँटे तो न बनाता

तो हमारे जैसे जीवों का गुज़ारा

इस धरती पर सुख चैन से हो जाता

(स्वरचित)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव