जब छोटी छोटी खुशियाँ जोड़कर
ये चिड़ियों के चहचहाने के विहंगम दृश्य
नन्हे मुन्ने प्यारे छौनों को प्यार करती कुतिया
पंख हिलाती इधर उधर घूमती तितलियाँ
आपकी सोंच में छुपी है
ये वोह कस्तूरी है जो आपके अंदर है …समस्त विलसिताओं में ढूंढते है
सोंच बदलिये नजरिया बदलिये
छोटी छोटी खुशियों में अपनी खुशियां ढूँढिये
छोटी छोटी खुशियों में अपने को खुश कीजिये
बहती ठंडी बयार खिले फूलों उड़ती तितलियों
चहचहाते पंछियों हँसते मुस्कराते बच्चों
कुत्ते बिल्ली के छौनों में घास के बिछौनो में
अपनी खुशियां ढूँढिये और उनका आनंद लीजिये
क्योकि परमपिता ने स्वयं उन्हें आपके लिए
आपकी खुशियों के लिए ही गढ़ा है
काश हम समझ पाते ठीक से जी पाते
(समाप्त)
अखिलेश चन्द्र श्रीवास्तव
403 ए ,सनफ्लावर ,रहेजा काम्प्लेक्स
पत्रिपुल के निकट ,कल्याण (पश्चिम)
जिला ठाणे ,महाराष्ट्र पिन -421301
मोबाइल -09321497415
विशेष नोट :-जब छोटी छोटी खुशियाँ बड़ी खुशियाँ
बन सकती हैं तो हम बड़ी खुशियों के पीछे क्यों भागें
परमपिता परमात्मा ने बहुत सारी ऐसी चीज़ें बनाई
हैं जो हमें बहुत खुशियाँ दे सकती हैं और उसके होने
का भरोसा भी .........