Thursday 29 October 2015

कविता : कुछ अलग ..

यह कविता बिलकुल अलग ढंग पर लिखी  गयी है 
इस विधा में कुल छः लाइन होती है और पहिली 
लाइन में एक दूसरी में दो तीसरी तीन इस क्रम में 
छठी लाइन छः शब्द होते हैं ..और छह  छह  लाइन 
के ग्रुप बनते हैं ... आप पढ़िए और आनंद लीजिये .. 
शरद जी  जो कविता में वर्णित है इस कविता के 
जानकार हैं और मेरे करीबी भी ...पेश  है 
 कविता .... कुछ अलग  
 
हम
क्यों आये
इस दुनिया म
क्या लेने या देने
क्या था उद्देश्य आने का
नहीं पता या जानना भी चाहा


नहीं
तो क्यों
रह गये यहाँ
इतने सारे दिनों तक
किसकी इज़ाज़त या मर्जी से
या खाली अपने लिये खुदगर्जी से


करना
कभी सवाल
अपने ज़मीर से
या सोई आत्मा से
जो अंश  भगवान का है
पर उसके दिये काम नहीं करती


आत्मा
अंश   तो
है भगवान का
पर उस  जैसी पवित्रता
का   लेशमात्र भी है उसमे
निरुद्देश्य भटकती घूमती दुनिया में


बातें
तो सिर्फ
बातें ही है
उनका क्या और छोर
बस भटकाती ही है सबको
कोई समझ पाता है कोई नहीं


ये
मेरी लिखी
चन्द लाईने क्या
हाइकु की परिभाषा में
आती   है क्या शरद भाई
या   कोई और है विधा यह


आप
हो जानकर
कई विधाओं के
विभिन्न प्रकार की कविताये
रचीं    है   आपने   सुन्दर सुन्दर
इन लाइनों को पढ़कर देखिये बताइये


मेरा
यह प्रयास
कैसा लगा आपको
आप  है भाई जानकर
कविताओं के आधुनिक रूप के
पढ़िये सोंचिये फिर बताइये ये रचनाएँ


शायद
आपका ज्ञान
मुझे रास्ता दिखाये
आधुनिक कविता पध्दति का
और  मैं    भी लिख पाऊँ अच्छी
कविताएँ बिल्कुल आपकी तरह प्यारी प्यारी


(समाप्त)

Friday 16 October 2015

कविता : वर्षा रानी



मैं उसे छोड़ कर परदेस क्या   गया वो तो
रूठ ही गयीउसके दर्शन   दुर्लभ हो गये मैं
उसके लिये बहुत तड़पा और तरसा परदेश
में पर उसकी शक्ल ही न दिखी .अब कल
जो लौट के घर आया हूँ .सारे गिले शिकवे
छोड़   वो मुझसे मिलने    अपने पूरे ताम
झाम के साथ लौट आई है... पढ़िए ताज़ा
तरीन कविता "वर्षा रानी "

कविता। :  वर्षा रानी
जो मुझसे        रूठ        गयी थी
मुझसे मिलना   छोड़       गयी थी
शक्ल दिखाना   छोड़       गयी थी
आज मेरे  वापस     घर    आने पर
वो पुरजोरि  से मुझसे      मिल रही
सारी   इच्छाएँ          पूरी  कर रही
छम छम     करके          बरस रही
घटाओं    में       उमड़ी  पड़   रही
मुझे   मिल    रही  वो   मेरी  प्यारी
तड़पा दिल जिसके  लिये वो न्यारी
वर्षा रानी         मुझे        भा  गयी
वो मेरे           अंतस पे     छा  गयी
बहुत     प्यार       उससे  करता  हूँ
उसके लिये       बहुत     तड़पा  हूँ
वो मेरी प्यारी      रानी      आ  गयी
मेरी      वर्षा       रानी     आ  गयी
उमड़   घुमड़    कर   बरस  रही वो
चमक चमक     कर   बरस रही वो
मेरे सूखे    जीवन में बहार आ गयी
वर्षा रानी          पुनः        आ गयी
तुझे छोड़   अब न कभी जाऊंगा मैं
तुझे नाराज  अब  न कर पाउँगा  मैं
कभी न छोड़   के  जाना वर्षा रानी
मुझसे     प्यार    निभाना  ओ रानी
(समाप्त)