Wednesday 19 July 2017

एक प्रणय निवेदन..अलग सा

ताज़ा रचना...
एक नये तरह का प्रणय निवेदन..
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चलिये हम चाँद सितारों की बात नहीं करते
चलिये फूलों बहारों की बात भी नहीं करते
पर क्या आप मुझे देखकर मुस्कुराएँगी
कभी हमसे मिलने या रहने हमारे घर आएँगी
क्या मुझे कुछ मनपससन्द बना के खिलायेंगी..
क्या मेरी साधारण सी भोली बातों पे ठहाके लगाएंगी
कभी कभी हम रात रात जाग कर करेंगे बातें
कभी चंदनीं रात में मेरे साथ चंदनीं में नहाएंगी
और कभी जब आपका मूड अच्छा हो...
आप मेरे बालों में तेल लगाएंगी बदले में मैं भी आपके बालों में तेल लगाऊँगा..
फिर कभी नहाते हुए पीठ पे मेरी आप साबुन लगा देना..बदले में मैं आपकी पीठ पर साबुन लगा दूँगा
क्या करूँ मजबूरी है पीठ पर हाथ नहीं पहुंच पाता है
और वहाँ गंदा रह जाता है इसलिये आपकी मदद की कामना करता हूँ
वैसे तो मैं आप पे मरता हूँ
पर कहने में बहुत डरता हूँ
आप कहीं नाराज़ न हो जायें.. मुझसे मुँह मोड़ कर न बैठ जायें..
एक फिल्मी गाने की लाइनें हैं..
"ये दिल भी कितना पागल है..ये प्यार तो तुमसे करता है..पर सामने जब तुम आते हो कुछ भी कहने से डरता है.."
हाँ आपको खो देने का डर बहुत भारी है..मैं पूरी ईमानदारी से कुबूल करता हूँ कि मुझे आपसे इश्क की बीमारी है..जो दिनों दिन बढ़ती और बेकाबू होती जा रही है..यदिआप "हाँ" कह कुबूल  कहेंगी तो इस गरीब आशिक की जिंदगी बच जाएगी और अगर " न" किया जिसकी उम्मीद तो नहीं है तो फिर ये अभागी  जिंदगी और उसकी उमंगें मर
जायेगीं..आपके हाँ और न के बीच झूलतीं इस गरीब की जिंदगी..जवाब का इंतेज़ार ..आपका प्यार..
(क्रमशः)
स्वरचित

Friday 14 July 2017

हाइकु मञ्जूषा अंक 48..बादल.. मेघ.. वर्षा आदि

हाइकु मञ्जूषा
अंक - 48           

विषय : -

01. मेघ/बादल
02. बिजली/दामिनी
03. वर्षा/बारिश

चंद हाइकु प्रस्तुत है ..

1) भारी   बारिश
      हुआ  जल भराव
      रास्ते   बाधित

2) फटे      बादल
     नदियों   में उफान
      ढहते    घर

3)दामिनी   कौंधे
     जोरों     की  है बारिश
      पिया     न आये

4)मेघा      हैं  छाये
     झूमे     किसान  मन
     अच्छी  फ़सल

5)बिजली    कौंधे
     भयंकर   गर्जना
     मुन्ना       स्कूल में

6)भारी       बारिश
     भर         गयीं    नालियाँ
     कागज़ी   नाँव

7)खूब      नहाते
     बारिश  झमाझम
      डाँट    भी  खाते

(क्रमशः)

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हाइकु मञ्जूषा
अंक - 48            

विषय : --
01. मेघ/बादल
02. बिजली/दामिनी
03. वर्षा/बारिश

इन विषयों पर चंद हाइकु प्रस्तुत हैं..

1)मेघा        बरसें
     बिजली  भी  चमके
      पिया     न    आये

2)बादल       छाये
    चमकती   दामिनी
      प्यारा      मौसम

3)मेघा    बरसो
    प्यास  बुझे   धरती
     कब    से     प्यासी

4) वर्षा      प्रारम्भ
     खुश      हुए  किसान
      उम्मीदें  झूमी

5)बादल    छाते
     उम्मीदें  हैं  जगाते
      बेटी     की शादी

6)इंद्र  की  पूजा
    बारिश    की प्रार्थना
     भक्त      किसान

7)प्यासी  धरती
    प्यासे   सब हैं लोग
    बरसो    मेघा

(क्रमशः


हाइकु श्रृंखला संख्या 49...प्राकृतिक विपदायें

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हाइकु मञ्जूषा
अंक - 49    

विषय:-
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प्राकृतिक आपदाएँ
01. आंधी
02. रेतीली आंधी
03. तूफान
04. बाढ़
05. भूकंप
06. अकाल
07. सुनामी
08. भूस्खलन
09. ज्वालामुखी
10. प्रलय
    
आज 29-06-2017 प्रस्तुत हैं चंद हाइकु चयनित विषयों पर..

1)बाढ़ जो आती
     बहा ले जाती खेत
      जीवन  सुख

2)पड़ा   अकाल
    सभी   जन   बेहाल
     भूँख   की ज्वाला

3)आया     भूकंप
     भीषण  है त्रासदी
      लोग    बेहाल

4)है         ज्वालामुखी
    जीवित औ जागृत
      उस     पहाड़ी

5)प्रलय         आयी
     जन धन    की हानि
     केदारनाथ 
     

6)सुनामी   आयी
    तबाही    वोह   लायी
     द्वीप       ग़ायब

7) आया       तूफ़ान
     भयंकर     तबाही
      जन  धन  की

(क्रमशः)
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हाइकु मञ्जूषा
अंक - 49    

विषय : ---
प्राकृतिक आपदाएँ
01. आंधी
02. रेतीली आंधी
03. तूफान
04. बाढ़
05. भूकंप
06. अकाल
07. सुनामी
08. भूस्खलन
09. ज्वालामुखी
10. प्रलय

इन विषयों चंद हाइकु प्रस्तुत हैं..

1)रेतीली       आंधी
     रेगिस्तान   में रोज़
       आदी      हैं लोग

2)जल           प्रलय
     केदारनाथ  धाम
      बड़ी          विपदा

3)बादल    फटा
    बाढ़      का है अंदेशा
     भागते  लोग

4)पहाड़ी      रास्ते
    भूस्खलन   कारण
     यात्रा         बाधित

5)आया    भूकंप
     तबाही  का मंजर
      राहत   कार्य

6)फसलें   सूखीं
     बरसा  नहीं  पानी
      छाया  अकाल

7)आँधी जो आयी
    उड़ा   ले   गयी मेघ
    तरसें         खेत

(क्रमशः)

हाइकु श्रृंखला संख्या 50..विषय स्वतंत्र

हाइकु श्रखला ..विषय..स्वतंत्र
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आज 04-07-2017 हाइकु मञ्जूषा अंक 50 के लिये कोई विषय नहीं यानी"स्वतंत्र"..बहुत खूब ...फिर स्वतंत्र उड़ान के साथ कुछ हाइकु प्रस्तुत करता हूँ..

1)अंतरिक्ष    में
     भेज   सैटेलाइट
      देश    गर्वित

2)एक से  एक
    बनाता  कीर्तिमान
     हमारा  देश

3)सारी   दुनियाँ
    भारत  का सम्मान
     देश     महान

4) छुद्र      वृत्तियाँ
     हर  बात   विरोध
     वास्ते    विरोध

5)गद्दार    भी हैं
    फलते   औ फूलते
     पालता  देश

6)फाँसी पे   रोक
     देशद्रोही  हँसते
      जी भर   जीते

7)करें       नुक्सान
    अपूरणीय  क्षति
     चैन  से     जीते

8)ढीले       कानून
    पेंचीदा    कार्यवाही
     आरोपी  मस्त

9)आजादी    मिली
    दिल खोल बोलते
    दुरुपयोग

10)कुछ     भी करो
       बेफिक्र हो के रहो
       कुछ     न होता

(समाप्त)
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आज 07 -07-2017 हाइकु मञ्जूषा अंक 50 का विषय स्वतंत्र है यानी मनपसंद विषय पर लिखना है..इन्ही विषयों पर आज के चंद हाइकु प्रस्तुत है..

1)देशप्रेम
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जीना       मरना
देश हित   में होगा
समर्पित   मैं

गर्वित    हूँ मैं
भारत    माँ का बेटा
प्यारी     मुझको

शीश    नवाऊँ
उसके   गुण गाउँ
है         जन्मभूमि

2)प्रेम और श्रृंगार
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बसंत   छाया
फूल    और कलियाँ
घूमते   भँवरे

बहार      आयी
अलसाई  कलियाँ
खोलें       आखियाँ

प्रेम    पुजारी
वेणी  लाया वो भेंट
जूड़ा   सजाता

गोरी      शर्मायी
कलियाँ  भी लजाईं
आये       साजन

3)पर्यावरण
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शुद्ध हो  हवा
शुद्ध  हो पेय जल
स्वस्थ     हों  सब

आस पास हो
साफ  और सुथरा
करो    संकल्प

अच्छी  आदत
साफ    सफाई होती
रहो       निरोग

4)भक्ति
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प्रभु         की शक्ति
अपरंपार   होती
वो है         मालिक

श्रद्धा औ भक्ति
देते हैं  वो शक्ति
जीतो   जगत

वोह     असीम
वोह      होता अजन्मा
करता    कृपा

(क्रमशः)
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आज 07-07-2017 हाइकु मञ्जूषा अंक 50 का लिये दिये"स्वतंत्र " विषयों में पर्यावरण और ग्लोबल वार्मिंग पर आधारित 11 हाइकु प्रस्तुत हैं..

प्रस्तावना...
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पर्यावरण और ग्लोबल वार्मिंग पर चिंता होनी अवश्यम्भावी है ...जिस तरह वायु..जल..भोजन सभी खाद्य सामग्री मिलावट और प्रदूषण से ग्रसित हैं..और अंधाधुंध पेड़ों की कटाई और पहाड़ियों को बेदर्दी से तोड़ने का सिलसिला अबाध चल रहा है और कंक्रीट के जंगल के जंगल खड़े हो रहें है..इससे ग्लोबल वार्मिंग होगी और ग्लोबल वार्मिंग से यदि तापमान बढ़ता है तो बर्फ पिघलने से सभी समुन्द्रों में पानी का स्तर बढेगा और बड़ा भूभाग पृथ्वी का समुंदर में समा जाएगा जिससे जन धन की बड़ी हानि होगी

11 ..हाइकु मानव की इन्हीं मूर्खताओं को इंगित करते हुए प्रस्तुत हैं..

1) अपना  द्रोही
     वृक्ष      काटता जाता
     नंगे       पहाड़

2) पेंड         कटते
     हरियाली  घटती
      वर्षा       में  कमी

3) दुर्भक्ष     आता
      भूँखे       मरेंगे   लोग
      प्यासे      तरसें

4)  नहीं         जो  रोका
      नये  पेंड   न लगे
      होगा        विनाश

5) काटे      जँगल
    ग्लोबल  वार्मिंग  से
    जल       प्लावन

6)सोंचे   मनुष्य
    सोंचे   भाग्य  नियंता
    कैसा   कानून

7)वायु   दूषित
    पानी  भी है दूषित
    मरते  लोग

8)खाना      दूषित
    दूध         घी भी दूषित
    सब्ज़ियाँ  होतीं

9) चेता    यदि न
    स्वार्थी  मनुष्य जो
    होगा    विनाश

10)जीवन   खत्म
      बंजर     होगी धरा
      मूर्ख      मनुष्य

11) चिंता      गंभीर
       पर्यावरण हानि
       सृष्टि        विनाश

(स्वरचित)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

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(समाप्त)