हाइकु श्रखला ..विषय..स्वतंत्र
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आज 04-07-2017 हाइकु मञ्जूषा अंक 50 के लिये कोई विषय नहीं यानी"स्वतंत्र"..बहुत खूब ...फिर स्वतंत्र उड़ान के साथ कुछ हाइकु प्रस्तुत करता हूँ..
1)अंतरिक्ष में
भेज सैटेलाइट
देश गर्वित
2)एक से एक
बनाता कीर्तिमान
हमारा देश
3)सारी दुनियाँ
भारत का सम्मान
देश महान
4) छुद्र वृत्तियाँ
हर बात विरोध
वास्ते विरोध
5)गद्दार भी हैं
फलते औ फूलते
पालता देश
6)फाँसी पे रोक
देशद्रोही हँसते
जी भर जीते
7)करें नुक्सान
अपूरणीय क्षति
चैन से जीते
8)ढीले कानून
पेंचीदा कार्यवाही
आरोपी मस्त
9)आजादी मिली
दिल खोल बोलते
दुरुपयोग
10)कुछ भी करो
बेफिक्र हो के रहो
कुछ न होता
(समाप्त)
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आज 07 -07-2017 हाइकु मञ्जूषा अंक 50 का विषय स्वतंत्र है यानी मनपसंद विषय पर लिखना है..इन्ही विषयों पर आज के चंद हाइकु प्रस्तुत है..
1)देशप्रेम
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जीना मरना
देश हित में होगा
समर्पित मैं
गर्वित हूँ मैं
भारत माँ का बेटा
प्यारी मुझको
शीश नवाऊँ
उसके गुण गाउँ
है जन्मभूमि
2)प्रेम और श्रृंगार
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बसंत छाया
फूल और कलियाँ
घूमते भँवरे
बहार आयी
अलसाई कलियाँ
खोलें आखियाँ
प्रेम पुजारी
वेणी लाया वो भेंट
जूड़ा सजाता
गोरी शर्मायी
कलियाँ भी लजाईं
आये साजन
3)पर्यावरण
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शुद्ध हो हवा
शुद्ध हो पेय जल
स्वस्थ हों सब
आस पास हो
साफ और सुथरा
करो संकल्प
अच्छी आदत
साफ सफाई होती
रहो निरोग
4)भक्ति
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प्रभु की शक्ति
अपरंपार होती
वो है मालिक
श्रद्धा औ भक्ति
देते हैं वो शक्ति
जीतो जगत
वोह असीम
वोह होता अजन्मा
करता कृपा
(क्रमशः)
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आज 07-07-2017 हाइकु मञ्जूषा अंक 50 का लिये दिये"स्वतंत्र " विषयों में पर्यावरण और ग्लोबल वार्मिंग पर आधारित 11 हाइकु प्रस्तुत हैं..
प्रस्तावना...
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पर्यावरण और ग्लोबल वार्मिंग पर चिंता होनी अवश्यम्भावी है ...जिस तरह वायु..जल..भोजन सभी खाद्य सामग्री मिलावट और प्रदूषण से ग्रसित हैं..और अंधाधुंध पेड़ों की कटाई और पहाड़ियों को बेदर्दी से तोड़ने का सिलसिला अबाध चल रहा है और कंक्रीट के जंगल के जंगल खड़े हो रहें है..इससे ग्लोबल वार्मिंग होगी और ग्लोबल वार्मिंग से यदि तापमान बढ़ता है तो बर्फ पिघलने से सभी समुन्द्रों में पानी का स्तर बढेगा और बड़ा भूभाग पृथ्वी का समुंदर में समा जाएगा जिससे जन धन की बड़ी हानि होगी
11 ..हाइकु मानव की इन्हीं मूर्खताओं को इंगित करते हुए प्रस्तुत हैं..
1) अपना द्रोही
वृक्ष काटता जाता
नंगे पहाड़
2) पेंड कटते
हरियाली घटती
वर्षा में कमी
3) दुर्भक्ष आता
भूँखे मरेंगे लोग
प्यासे तरसें
4) नहीं जो रोका
नये पेंड न लगे
होगा विनाश
5) काटे जँगल
ग्लोबल वार्मिंग से
जल प्लावन
6)सोंचे मनुष्य
सोंचे भाग्य नियंता
कैसा कानून
7)वायु दूषित
पानी भी है दूषित
मरते लोग
8)खाना दूषित
दूध घी भी दूषित
सब्ज़ियाँ होतीं
9) चेता यदि न
स्वार्थी मनुष्य जो
होगा विनाश
10)जीवन खत्म
बंजर होगी धरा
मूर्ख मनुष्य
11) चिंता गंभीर
पर्यावरण हानि
सृष्टि विनाश
(स्वरचित)
अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव
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(समाप्त)