तुम सोंचते हो कि तुम
दुनिया में सबसे बुध्धिमान हो
अच्छी बात है ..
तुम सोंचते हो कि तुम
दुनिया में सबसे धनवान हो
अच्छी बात है
तुम सोंचते हो कि तुम
दुनिया में सबसे रूपवान हो
अच्छी बात है
तुम सोंचते हो कि तुम
दुनिया में सबसे बलवान हो
ये भी अच्छी बात है
ये तुम्हारा सही या गलत
उचित या अनुचित
विचार हो सकता है
शायद कुछ बानगी देखने के बाद
इन सब को या कुछ को
लोग मान भी ले
पर जब तुम दूसरों को
बुध्धिहीन धनहीन रूपहीन
बलहीन और नाकारा
समझ कर उनके साथ
अपमान जनक तिरस्कार भरा
व्यवहार करते हो
ये नितांत गलत और
अविवेकपूर्ण है
न समाज न कानून और न ही
विवेक और न ही भगवान तुम्हे
इस प्रकार के अवांछित
निकृष्ट व्यवहार की
इज़ाज़त देते हैं
अतः अपने व्यवहार को
अनुशाषित रखो
भगवान की दी सभी निधियों
का पूरा पूरा उपभोग करो
जिन्दगी भरपूर जियो
पर अभिमान को कभी
अपने पर हावी मत होने दो
सबसे प्यार करो
सदा खुश रहो
तुम चाहे जो और जैसे सोंचो
पर दुनिया से तुम्हारा व्यवहार
अच्छा और आदर्श हो
यही जीवन में सफलता का
मूलमंत्र भी है और सही
जीवन दर्शन भी
(समाप्त )